कुछ अल्फाज़ मेरी कलम से – अधिवक्ता शिवानी जैन

” कुछ अल्फाज़ मेरी कलम से
Adv ShivaniJainbyss”
एक पक्षी के दर्द का फंसाना था,
टूटे हुए थे पंख फिर भी उड कर जाना था।।
उसी रात को एक तूफान भी आना था
तूफान तो वो झेल गया ।।
“अफसोस ये”
“वही ङाल टूटी”
जिस पर उसका आशियाना था ।। AdvShivaniJainbyss

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