जल ही जीवन है इस धरती पर – कर्नल आदिशंकर मिश्र, आदित्य
जल ही जीवन है इस धरती पर,
जल ही जीवन है उस अम्बर तक,
जल के बिना है कहीं पाताल नहीं,
जल के बिना हरियाली होती नहीं।
मछली,कच्छप, दादुर, चातक
सब जल पर ही आश्रित होते हैं,
पक्षी, पौधे, पुष्प, लताएँ, फ़सलें,
सब जल के ऊपर निर्भर होते हैं।
सावन भादों की यह बारिस है,
मीठा जल ये बादल बरसाते हैं,
इस जल का करें संचयन हम,
हर तरह करें इसका संरक्षण हम।
गंदी नाली नाले में मत जाने दें,
इस जल को दूषित मत होने दें,
यह अमृत जल संरक्षित कर लें,
तालाबों और अमृत सरोवरों में।
घर में बने सोखतों में, टैंकों में,
कूप, पोखरों और तलैय्यों में,
एक बूँद भी जल व्यर्थ न जाये,
आओ यह प्रण हम सभी निभायें।
जिस प्रकार प्राणी जीवन को
हवा और भोजन आवश्यक है,
वैसे ही सबके जीवन में जल की
भी उतना ही अधिक ज़रूरत है।
धरती के अंदर के श्रोत सूख रहे हैं,
जलस्तर दिनप्रति गिरता जायेगा,
आदित्य सोचिये कर विचार जल
नहीं रहेगा तो हाल हमारा क्या होगा।
दो हज़ार वर्गफ़िट या उससे बड़े घरों
में वर्षा जल संरक्षण कर लेना होगा,
उससे छोटे घर वालों को भी आदित्य
समूह में मिल दायित्व निभाना होगा।
कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ
