नगर निगम में अस्थाई एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर है जिसमें लगभग 80 कुत्तों को रखने की व्यवस्था है – एड. शिवानी जैन
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन की डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने बताया कि नगर निगम अलीगढ़ द्वारा एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर की अस्थाई व्यवस्था है। अभी अस्थाई सेंटर पर ही कुत्तों को रखने की व्यवस्था है। जिसमें लगभग 80 कुत्तों को रखने की व्यवस्था बनाई गई है। कुत्तों को एंटी रेबीज वैक्सीन की पहली डोज लगाकर 3 हफ्ते बाद दूसरी बूस्टर डोज लगाई जाती है। इस अस्थाई एबीसी सेंटर में कुत्तों का टीकाकरण एवं बंध्याकरण किया जा रहा है।
यदि स्थाई सेंटर नहीं बनता है तो जिला अलीगढ़ में स्ट्रीट डॉग की संख्या लगभग 40,000 है। जिसके टीकाकरण में ही लगभग 29 वर्ष लग जाएंगे।
क्योंकि अभी अभी नगर निगम की ओर से धौर्रा माफी स्थित अपनी जमीन पर अस्थाई व्यवस्था करते हुए कुत्तों के लिए 80 पिंजरे है। इस तरह 21 दिन में 80 कुत्तों को टीकाकरण किया जा सका है। अब उनको छोड़ा जाएगा।
नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ राजेश वर्मा जी ने बताया कि मादा कुत्तों का भी बंध्याकरण कराया जा रहा है। उनको जहां से पकड़ा जाता है वही वापस उसी स्थान पर छोड़ा जाता है।
श्रीराम अकाउंट्स एंड लां इंस्टिट्यूट स्ट्यूट काउंसलर डॉ कंचन जैन, सार्क फाउंडेशन तहसील प्रभारी अंजू लता जी, मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक इं विपिन कुमार जैन, संरक्षक राकेश दक्ष एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, आलोक मित्तल एडवोकेट , मानवेंद्र सिंह एडवोकेट, ज्ञानेंद्र मित्तल एडवोकेट ने कहा कि
आज संसार में पशुओं का उत्पीडन जिस बुरी तरह से किया जा रहा है उसे देखकर किसी भी भावनाशील का ह्रदय दया से भरकर कराह उठता है। पशुओं पर होने वाला अत्याचार मनुता पर एक कलंक है। समस्त प्राणी-जगत में सबसे श्रेष्ट कहे जाने वाले मनुष्य का पशुओं के साथ क्रूरता करना कहाँ तक जायज़ है। साधारण-सी बात है कि संसार में रहने वाले सारे प्राणियों को उस एक ही परमिपता परमेश्वर ने जन्म दिया है। इस नाते वे सब आपस मैं भाई-बहन ही है, बुद्धि, विवेक तथा अधिकारों की दृष्टि से मनुष्य उन सबमे में बड़ा है और समस्त अन्य प्राणी उसके छोटे भाई-बहन है । बड़े तथा बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य का धर्म है कि वह अपने छोटे जीव-जन्तुओ पर दया करे, उन्हें कष्ट से बचाए, पाले और रक्षा करे।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक एवं जीव दया के सक्रिय सदस्य ने खेद जताते हुए कहा कि
संसार के सारे धर्मो में जीवो पर दया करने का निर्देश दिया गया है। जब तक मनुष्य जीवो के लिए दया, और सहानुभुति नहीं रखेगा, भौतिक विकास हो ,संभव है लेकिन वास्तविक सुख-शांति नहीं मिल सकती । मनुष्य पशु पर कितना और किस – किस प्रकार से अत्याचार और उत्पीड़न करता है, इसको आये दिन सामान्य जीवन मैं देखा जा सकता है। और भी दुःख एवं खेद की बात है कि मनुष्य का यह अत्याचार उन्ही जीव-जन्तुओ पर कर रहा है जो उसके लिये उपयोगी, सेवक तथा सुख-दुःख के साथी तथा बच्चो की तरह ही भोले, निरीह और आज्ञाकारी है ।
उन्होंने कहा कि कानून बनाने मात्र से इस समस्या पर विजय प्राप्त नहीं की जा सकती। इसके लिए जरूरी शुरुआत परिवार से करनी होगी। आज के बच्चे कल का भविष्य हैं।जब वे परिवार के सदस्यों को पशु-पक्षी के साथ संवेदनशील व्यवहार करते हुए देखेंगे ,तभी वे ऐसा व्यवहार करना सीखेंगे। जब हम बाहर निकलते हैं, तो पशुओं के साथ क्रूरता की घटनाएं भी नजर आती हैं। कुछ लोग पशु-पक्षियों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हैं। ऐसे लोगों को रोकें, पृथ्वी पर जितना हक हमारा है उतना ही उन निरीह प्राणियों का भी है। हमें समझना चाहिए कि जब हम किसी को जीवनदान नहीं दे सकते तो हमें उसे मारने का भी कोई हक नहीं बनता है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ
