नारी की तलाश नारी की पहचान नारी का वजूद नारी का स्वाभिमान -डॉ (एचसी)शिवानी जैन एडवोकेट
तू ही काली तू ही दुर्गा जब जब विपदा तब तक उठी तेरी तलवार कर दिया तूने राक्षसों का बहिष्कार तो आज क्यों नारी हर रोज हर घंटे तड़पा ही जा रही है वह नारी को बक्शा नहीं जा रहा है सबका बदन खून से लथपथ हो जा रहा है कहां है तू काली कहां है तू दुर्गे हर रोज राक्षसों का नया चेहरा सामने आ रहा है तेरी तलवार कहां है मां दुर्गे मां काली तेरी बेटी को हर रोज तड़पा तड़पा कर सड़कों पर फेंका जा रहा है। तेरी बेटी की चीखे जमाना भर सुन रहा है ।। कर दे मां दुर्गे काली अब अपनी बेटियों के लिए न्याय हर रोज एक बच्ची एक नारी के वजूद के साथ खिलवाड़ उसे तड़पाया जा रहा है उसके नारी होने पर सवाल उठाए जा रहे हैं बना दे उसे इतना मजबूत जब भी कोई उसे हाथ लगाने की सोच तो तेरा वजूद नजर आए मां दुर्गे मां काली दे दे अपनी तलवार की शक्ति जिससे खुद का न्याय खुद कर सके।।
बच्चियों के चीखें दुनिया भर के प्राणी सुन रहे हैं । कहते हैं नारी छोटे कपड़े पहनती है इसलिए उसके साथ अन्याय हो रहा है 3 महीने की बच्ची 2 साल की बच्ची को कहां से मां साड़ी पहनायें है उन बच्चियों की क्या गलती है जिन बच्चीयो के साथ अन्याय हो रहा है नारी का वजूद सिर्फ नारी का स्वाभिमान।। हर नारी स्वयं की स्वयं मदद कर पाए है हर रोज हर घंटे बच्चियों को खून से लथपथ देखा जा रहा है रोक दे मां दुर्गे मां काली इस अन्याय को करते राक्षसों का बहिष्कार उठा ले मां तलवार बचा ले अपने बच्चों की जान बचले।
नारी की पहचान नारी का स्वाभिमान नारी का वजूद।।
