पशु प्रेमियों में आक्रोश, वन्यजीवों की सुरक्षा भी एक कर्तव्य – शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन की डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने बताया कि कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश में दो और चीता शावकों की मृत्यु हो जाने पर अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। शावकों की मृत्यु होने कारण जांच होनी अतिआवश्यक है।
मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री जे एस चौहान ने बताया कि तापमान में अप्रत्याशित बढ़ोतरी इसका प्रमुख कारण है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक एवं जीव दया सक्रिय सदस्य इं विपिन कुमार जैन, संरक्षक राकेश दक्ष एडवोकेट, आलोक मित्तल एडवोकेट, डॉक्टर नरेंद्र चौधरी एडवोकेट, सार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी अंजू लता जी, श्रीराम अकाउंट्स एंड लां इंस्टिट्यूट काउंसलर डॉ कंचन जैन, सहित पशु प्रेमियों ने यह प्रश्न उठाया के आखिर चीता शावकों की देखरेख कैसे की जा रही है? क्या वह यहां के वातावरण में ढल नहीं पा रहे हैं।
केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने चीता परियोजना संचालन समिति के गठन का निर्णय लिया है। यह समिति और विशेषज्ञ उनकी अनुकूल वातावरण का निर्माण करेंगे। उनके स्वास्थ्य के अनुकूल स्थान बनाएंगे।
चीतों के बच्चे बड़ी मुश्किल से बचते हैं। ये इस जानवर के विलुप्त होने की बड़ी वजह है। मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान बताते हैं कि चीता शावकों के जंगल में जीवित रहने की संभावना 10-20% ही होती है।
साउथ अफ्रीका में चीता मेटापॉपुलेशन प्रोजेक्ट के मैनेजर और वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट विन्सेंट वैन डेर मर्व ने तीन शावकों की मौत को सामान्य बताया है।
यह प्रोजेक्ट का क्रिटिकल फेज है, इसमें चीतों को बड़े एरिया में छोड़ा जा रहा है, जहां उन पर नियंत्रण कम होता जा रहा है। चोट और मृत्यु दर के जोखिम बढ़ रहे होंगे और इन जोखिमों को रिलोकेशन प्लान में शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा किकि रिलीज होने के बाद पहले साल के भीतर कुछ शुरुआती चीते खत्म हो जाएंगे। रिलीज किए गए चीतों में से कई कूनो नेशनल पार्क की सीमाओं से पार चले जाएंगे और उन्हें इस दौरान अल्पकालिक तनाव से गुजरना पड़ सकता है। एक बार जब चीते अपना होम रेंज बना लेंगे तो स्थिति स्थिर हो जाएगी।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ
