वर्षा का यह जल संचय कर लें – कर्नल आदि शंकर मिश्र

झूम झूम के बरसीं बरखा रानी
सावन के महीना, वर्षा का पानी,
खेत-खलिहान नदी-तालाब सब,
गाँव शहर लबालब हैं पानी पानी।

जेठ आषाढ़ सभी अति तरसे,
बूंद बूंद को तरसी धरती माता,
मानसून देखो आया सावन में,
हरियाली फैली है सारे जग में।

गाँवों शहरों में झूम झमाझम
जलमग्न हो गईं सारी सड़कें,
उमड़-घुमड़ कर गरज रहे हैं,
काले भूरे मतवाले बादल हैं।

भू स्खलन हो रहा पहाड़ों पर,
जान माल की हानि हो रही है,
इन्द्र देवता की अत्यन्त कृपा है,
या उनकी दृष्टि अत्यंत कुपित है।

पर रूखे सूखे पेड़ों पौधों में अब
हरियाली की जान आ गयी है,
धानी चुनर ओढ़ ली धरती माँ ने,
झूले पड़ गये प्रकृति संवर गई है।

वर्षा का यह जल संचय कर लें,
आओ मिलकर प्रबंध करें ऐसा,
वर्ष भर का जल संचित धरती में,
आदित्य हम सब उपाय करें ऐसा।

कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ – 12 जुलाई 2023

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