हिंदी दिवस और राजभाषा हिंदी पर कविता के माध्यम से प्रकाश डालते कर्नल आदिशंकर मिश्र, आदित्य
अपनी प्यारी मातृभाषा हिंदी के आलिंगन से हम दूर चले आये हैं। इसके मूल रूप से बहकते हुये, अंग्रेज़ी के प्रभाव में भरमाये हैं । इतनी सुंदर देवनागरी लिपि को छोड़ रोमन में लिखना सीख गये, दूर निकल आये इतने कि हम सब,मूल रूप में हिंदी लिखना भूल गये।

शिक्षा पद्धति मैकाले की थोपी गई,गुरूकुल की पाठशालायें बंद हुईं,ब्रिटिश प्रणाली छल बल से देकर,सामाजिक महिमा मर्यादा ध्वस्त हुईं।आज ज़रूरी है मूल रूप फिर पाने का, अपनी भाषा अपनी हिन्दी अपनाने का,
अभी भी चूके महत्व इसका हम भूले,तो मिट जाएगा प्रयत्न 75 सालों का।इन शब्दों में है कोई अतिरेक नहीं, भाषा भाव सभी अव्यक्त व्यक्त हैं,सधे हुये है, शायद कोई मतभेद नहीं,
राजभाषा हिंदी किसी को त्यक्त नहीं। करूँ प्रशंसा कैसे हिंदी है अपनी माँ,माँ की ममता, असमंजस में होठ बंद,आदित्य देश व्यापी तो हो जाये हिंदी, भारत का सम्मान विश्वभाषा हो हिंदी।
कर्नल आदि शंकर मिश्र, ‘आदित्य’लखनऊ – 14 सितम्बर 2023 विश्व हिंदी दिवस की अनंत शुभ कामनायें एवं बधाई आप सभी को व सारे देशवासियों को।