किसी भी पक्षी को कैद करना कानूनन इजाजत नहीं- शिवानी जैन एडवोकेट

ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन की डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने बताया कि
भारत में कानून इजाजत नहीं देता कि किसी भी पक्षी को कैद करके रखा जाए। आम तौर पर नागरिक तोतों को पालतू पक्षी मानते हैं लेकिन वन्यजीव अधिनियम 1972 की धारा-4 के तहत इसे या किसी भी अन्य पक्षी को पिंजरे में कैद रखना या पालना गैरकानूनी है।
जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम 1960 के तहत किसी भी जानवर या पक्षी को ऐसे पिंजरे में कैद करना अवैध है जो जानवर या पक्षी को चलने फिरने के लिए उचित अवसर की अनुमति न दें यानी कि बहुत छोटा ना हो। आप कुछ प्रकार के तोंतों को पिंजरे में रख सकते हैं, लेकिन सभी को नहीं।
भारतीय जंगली तोंतों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित किया गया है। उनको पालने पर 3 साल तक की कैद,₹25000 जुर्माना या दोनों भी हो सकती है।
विश्व हिंदू परिषद दुर्गा वाहिनी के अध्यक्ष डॉ कंचन जैन ने कहा कि शहर में पक्षी प्रेमियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन वह नियमों को भी जानकारी रखें। विदेशी पक्षियों को रखने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। तोते के गले में अंगूठी की तरह अलग रंग होने के कारण इन्हें रिंगनेक भी कहा जाता है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक इं विपिन कुमार जैन, संरक्षक राकेश दक्ष एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, आलोक मित्तल एडवोकेट,सार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी अंजू लता जी, श्रीराम अकाउंट्स एंड लां इंस्टिट्यूट के निर्देशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी
ने कहा कि तोतों को बचाने के लिए हमें पुराने पेड़ों को बचाना अति आवश्यक है। और फलदार पेड़ लगाना भी जरूरी है। सभी तोते फल खाना बहुत पसंद करते हैं। उन्होंने जन-जन से आवान किया कि पालने का मोह छोड़े। आसमान में स्वतंत्र उड़ने दें। यही सच्ची मानवता है।
वन्यजीवों की तस्करी पर जागरूकता और सक्रियता से भी रोक लगाई जा सकती है। देश विदेश के दुर्लभ प्रजातियों के पशु पक्षियों की सुरक्षा व तस्करी रोकने को अंतरराष्ट्रीय संस्था सीट्स ने सूची तैयार कर ली है। पर्यावरण वन विभाग और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विदेशी पशु पक्षियों के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर दिया गया है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ

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