गुरु पुर्णिमा पर विशेष कविता – “आदित्य कवि विनय गुरु से है -कर्नल आदि शंकर मिश्र”

विचारों को पढ़ने मात्र से जीवन में,
कोई परिवर्तन नहीं आ पाता है,
विचारों को अमल में ले आने से
जीवन परिवर्तित हो सुधर जाता है।

गुरु शिक्षा ग्रहण किया जिसने,
निज जीवन सुधार लिया उसने,
प्रथम गुरू माता पिता होते हैं,
दूसरे गुरु शिक्षक ज्ञान देते हैं।

भवसागर से पार उतारे ईश्वर
सबके गुरूदेव भगवान् होते हैं,
एक गुरू धरती माता होती हैं,
जहाँ पलकर सभी बड़े होते हैं।

ढाई अक्षर प्रेम के हर प्राणी में
वास करने वाले भी गुरु होते हैं,
सत्य, धर्म, ईमान और परसेवा
सबके जीवन में सदा गुरु होते हैं।

आदित्य कवि विनय गुरु से है,
कि दीजिये ज्ञान सभी को ऐसा,
सबका जीवन महान बन जाये,
इहलोक व परलोक सुधर जाये।

सृष्टि के सभी गूरूओं को हाथ
जोड़ करता हूँ प्रणाम और नमन,
गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर सब
मित्रों को हार्दिक बधाई व नमन।

कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ -03 जुलाई 2023

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु:
गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु: साक्षात् परं ब्रह्म
तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुजनों के श्री चरणों में दंडवत नमन एवं सभी गुरुओं और सभी शिष्यों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनायें।

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