परमात्मा इस पृथ्वी पर एक परमब्रह्म शक्ति है यह कोई कल्पना नहीं इसके बहुत से प्रत्यक्ष प्रमाण है – डॉ. विपिन कुमार जैन
परमब्रह्म शक्ति और मनुष्य
परमात्मा इस पृथ्वी पर एक परमब्रह्म शक्ति है । यह कोई कल्पना नहीं इसके बहुत से प्रत्यक्ष प्रमाण है , परमात्मा की तकनीकी मनुष्य के निर्माण से लेकर अंत तक के चक्र को हम और आप इसे एक उदाहरण से समझेंगे और जानेंगे
हम सब ने अपने पूरे शरीर से जुड़े बहुत से रोचक तथ्य सुने होंगे महसूस किया होगा कि प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे मनुष्य से व्यवहारिक तौर पर चारित्रिक तौर पर भिन्न – भिन्न है । आपने गौर किया होगा कि शैक्षिक संस्थानों से लेकर बैंक में और अन्य महत्वपूर्ण कार्यालयों में भी मनुष्य के उंगलियों की छाप लगवाई जाती है और आवश्यकता होने पर उन्हीं उंगलियों के छाप से पुष्टि भी की जाती है ।
इसमें अगर आप उस परमब्रह्म की तकनीकी को बारीकी से देखें तो पृथ्वी पर मनुष्य की संख्या खरबों में है और उन सब की उंगलियों की छाप अलग – अलग है और यह क्रिया शिशु के मां के गर्भ में चार माह के होते होते यह प्रक्रिया शुरू होती हैं । इन रेडियोएक्टिव लहर के कारण मांस पर बनना शुरू होती हैं और इनको आकार डीएनए देता है , आश्चर्यचकित कर देने वाला तथ्य यह है कि कोई भी उंगलियों की छाप किसी दूसरी उंगलियों की छाप से नहीं मिलती । अर्थात उंगलियों पर छाप बनाने वाला भी समंजन करके खरबों की संख्या में मनुष्य की उंगलियों की छाप के आकार के आरेख को प्रत्येक दूसरे मनुष्य से भिन्न बनाता है । इसका अर्थ यह है कि वह परमब्रह्म शक्ति प्रत्येक मनुष्य के उंगलियों की छाप के आरेख को पहचानती है ।
एकमात्र यही कारण है कि प्रत्येक मनुष्य के उंगलियों के छाप का आरेख नवीन होता है , यह इस बात का प्रमाण है कि उस परमब्रह्म शक्ति के जैसा कोई दूसरा सर्वशक्तिमान नहीं है । वह एक अनोखा चित्रकार है ।
हमने कई बार देखा होगा कि जब मनुष्य किसी कारण से जल जाता है और उस पर जख्म हो जाते हैं तो जब वह ठीक होने लगता है तो उसकी उंगलियों की छाप भी वापस आने लगती है इसका अर्थ यह है कि उंगलियों में लकीरें बनाने वाली कोशिकाओं में यह चित्रकारी है कि वह इसका निर्माण दोबारा कर सकें । आज तक विश्व भर में मनुष्य के जीवन पर उसकी शारीरिक बनावट पर अनेकों शोध हुए परंतु यह भी एक सत्य है की इस संसार को चलाने वाली एक सर्वशक्तिमान सत्ता है जिसके पास प्रत्येक मनुष्य के हिसाब की किताब अलग – अलग है ।
डॉ विपिन कुमार जैन

