राष्ट्रीय पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ – शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ एवं नेशनल मीडिया प्रेस मेंबर शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए एक निगरानी नियामक की जरूरत होती है। भारत सहित दुनिया के 50 देशों में नियामक मौजूद हैं। भारत में प्रेस के लिए नियामक संस्था भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना 16 नवंबर को हुई थी। हम इसे राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाते हैं।थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन, शालू सिंह एडवोकेट, विमला चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन ने कहा किभारत के लोकतांत्रिक समाज में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस को सम्मानित करने के लिए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है।इस दिन भारतीय प्रेस परिषद ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक नैतिक प्रहरी के रूप में कार्य करना शुरू किया कि प्रेस उच्च मानक बनाए रखे और किसी प्रभाव या धमकी से बाधित न हो।मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक एवं प्राचीन मानवाधिकार काउंसिल सदस्य डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ राजेंद्र कुमार जैन नेशनल मीडिया प्रेस, डॉ आरके शर्मा, निर्देशक डॉ नरेंद्र चौधरी आदि ने कहा कि 1684 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की। लेकिन भारत का पहला समाचार पत्र निकालने का श्रेय भी जेम्स ऑगस्टस हिकी नामक एक अंग्रेज को प्राप्त है, जिसने वर्ष 1780 में ‘बंगाल गजट’ का प्रकाशन किया था।उन्होंने कहा कि देवताओं में द्रष्टा- देवर्षि नारद को पत्रकारिता का प्रथम गुरु माना जाता है और इनका उल्लेख वेदों, पुराणों, प्राचीन संधियों, रामायण आदि में मिलता है और संपूर्ण विश्व के विश्वकोषों में वे अप्रतिम व्यक्तित्व हैं।शिवानी जैन एडवोकेटडिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ
